
किन शब्दों को पिरोऊं कविता में !
तुमसे मेरे जीवन में आई बहार है।
सूना था मेरा आंचल और आंगन !
तुम्हारे आने से मिली खुशियां हजार है।
चहकना चिड़िया सा तुम्हारा !
करता घर को गुलजार है ।
छुए आसमान की बुलंदियां तू!
मेरी बच्ची तू इसकी हकदार है।
खिलखिलाती रहो हमेशा !
जीवन में संघर्ष अपार हैं।
मायूसी को कर दरकिनार खुद से!
भरोसा है तुझ पर, इतनी तो समझदार है।
‘उर्मि’