Uncategorized
Trending

तिल तिल कर यह पल

तिल तिल कर यह पल
हाथों से जाता है फिसल,
फिर यही पल, बन जाता है “कल”—
खुशी रूपी तितली को हमेशा के लिए
कब्जे में करने की इच्छा लिए
भागता इंसान, बाद में पछताता।
आज की खुशी,आज का पल,
ऐसे, हाथों से जाता है फिसल।
फिर इंसान, जाते हुए पल का
ग़ुबार देखता रह जाता है, खाली हाथ—–

सुलेखा चटर्जी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *