
(सरस छंद)
उपहार की कीमत न पूछो, यह प्रेम का प्यारा बंधन,
दिल से दिल को जोड़ने वाला, स्नेह-भरा यह चंदन।
सोना-चाँदी फीका पड़ता, ममता का उजियारा,
सच्चे मन से जो मिल जाता, होता सबसे प्यारा।
देने का सुख सबसे मीठा, लेने से बढ़ जाता,
अपनापन रिश्तों में मोती, जीवनभर चमकाता।
जब भावों का मोल न हो, अपनापन बढ़ जाता,
स्नेह-धागे बुनकर मन में, रंग नया भर जाता।
छोटी-सी मुस्कान खिले तो, दिल में सुख उतरता,
प्यार भरा मन मंदिर में, अमर स्नेह संवरता।
सच्चा धन वह जो सबको, अपना नेह लुटाए,
प्रेम-धारा जग में बहाकर, हर मन को हँसाए।
दौलत-शोहरत सब बेकार, जो रिश्ते तोड़ दे,
सच्चा चाहत मोती बनकर, टूटे मन को जोड़ दे।
नेह-भरे दो मीठे बोल, जग को सुंदर करें,
प्रेम-दान से अमृत बरसाकर, सबके मन हरें।
जो देता निस्वार्थ हृदय, अमर सुख पा जाता,
उपहार बन मुस्कान सभी के, जीवन में छा जाता।
उपहार की कीमत न पूछो, बस भाव निभाते जाओ,
प्यार-पताका मन में लहराकर, रिश्ते सजाते जाओ। योगेश गहतोड़ी