
माता दुर्गा का सातवां रूप
कालरात्रि का यह स्वरूप
आसुरी शक्तियों को भगातीं
काले रूप में सबको भाती
बिखरे सारे बाल जीभ है लाल
काल से बचाती हमे बाल-बाल
तीन नेत्रों में ब्रह्मांड है समाया
सांसों में मां ने अग्नि समाया
वर मुद्रा में मैया हाथ उठाती
अभय मुद्रा में संकट भगातीं
एक हाथ में मां खड़ग बिराजे
एक हाथ में काटा मां के साजे
शुभ फल देती शुभकरी माता
दर्शन मिले पुण्य फल आता
सिद्धियों के भण्डार भरे अपार
दानव दैत्य भागे सुन ललकार
डॉ. कृष्ण कान्त भट्ट
एस वी पी सी बंगलौर कर्नाटक
मां के चरणों में समर्पित