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चिंताजनक: वायु प्रदूषण का दिमाग पर गहरा असर, बढ़ रहा मिर्गी का खतरा; देश में दिल्ली-NCR सबसे ज्यादा जोखिम वाला

वायु प्रदूषण अब केवल सांस और फेफड़ों की बीमारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह मस्तिष्क पर भी गहरा असर डाल सकता है। कनाडा के एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि प्रदूषण मिर्गी (एपिलेप्सी) जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। पीएम2.5 और ओजोन गैस के संपर्क से मिर्गी का खतरा क्रमश: 5.5% और 9.6% बढ़ सकता है।

वायु प्रदूषण अब केवल सांस और फेफड़ों की बीमारी तक सीमित नहीं रहा। एक शोध में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह मस्तिष्क पर भी गहरा असर डाल सकता है और न्यूरोलॉजिकल विकारों, विशेषकर मिर्गी (एपिलेप्सी) जैसी गंभीर स्थिति के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।

यह अध्ययन कनाडा के लंदन हेल्थ साइंसेज सेंटर रिसर्च इंस्टीट्यूट और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है और इसके निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल एपिलेप्सिया में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं ने ओंटारियो (कनाडा) में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य डाटा और पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर का विस्तृत विश्लेषण किया।

बता दें कि अध्ययन में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जिन्हें मस्तिष्क से संबंधित अन्य गंभीर बीमारियां नहीं थीं। छह वर्षों की अवधि में मिर्गी के 24,761 नए मामलों की पहचान हुई जो एक चौंकाने वाला आंकड़ा है। विशेष रूप से दो प्रदूषकों को इस बीमारी के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है।

पहला पीएम2.5 के महीन कण जिसके दीर्घकालिक संपर्क से मिर्गी का खतरा 5.5% तक बढ़ जाता है। दूसरा, लंबे समय तक ओजोन गैस के संपर्क में रहने से यह खतरा 9.6% तक बढ़ सकता है। यह पहली बार है जब वायु प्रदूषण को मिर्गी के नए मामलों से सीधे तौर पर जोड़ा गया है।

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