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बाल कविता

नन्ही चिड़िया बच्चों के संग
सैर करने को जब निकली
चिड़ा पापा को ढूंढ रही थी
लेकिन सफलता नहीं मिली।।

  नभ की ऊंचाई पर जाकर
बच्चे उड़ते और थकते
नन्हे बच्चे घबराकर
मां के आंचल में छुपते।

चिड़िया भी अब उड़ना
भूल कर बच्चों की रक्षा करें
चिड़िया भी तो छोटी सी थी
बच्चों में हौसला भरे।।

बच्चों उड़ाना नहीं छोड़ना
धीरे-धीरे साथ चलो ,
तभी हम घर वापस पहुंचे
हिम्मत बिल्कुल मत तोड़ो।।

तभी अचानक दो पंखों  ने
बच्चों को आकर थामा।।
बच्चों में हिम्मत फिर आई
संग थे उनके पापा मम्मा।।

धीरे-धीरे सब मिलकर के
अपने घर को वापस आए,
पापा ने भी  चौच से लाकर
दाने सबको खूब खिलाए।।‌

पुष्पा पाठक छतरपुर मध्य प्रदेश

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