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जीवन का अमृत



अनुशासन जीवन का अमृत,
है अनुपम उपहार सखे।
अतिरेक मोह की मधुशाला,
मत करना मधुपान सखे ।।

भेदभाव को मिटा, करो
समता का सिंगार सखे ।
अमृत पीकर अनुशासन का,
रच डालो इतिहास सखे ।।

मन चंचल है अति वेगवान,
विजई होता है धीरवान ।
‘जिज्ञासु’ जन रखना अपने ,
मन पर सदा लगाम सखे ।।

अनुशासन जीवन का अमृत
है अनुपम उपहार सखे ।

कमलेश विष्णु सिंह ‘जिज्ञासु’

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