Uncategorized
Trending

ईशावस्योपनिषद् ।। श्लोक १५ ।।

सम्बन्ध— श्री परमेश्वर की उपासना करने वाले को परमेश्वर की प्राप्ति होती है, यह कहा गया । अतः भगवान के भक्त को अंतकाल में परमेश्वर से उनकी प्राप्ति के लिए किस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए, इस जिज्ञासा पर कहते हैं—

हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् ।
तत्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ।।

व्याख्या— भक्त इस प्रकार प्रार्थना करें कि ‘हे भगवन् ! आप अखिल ब्रह्मांड के पोषक हैं, आपसे ही सबको पुष्टि प्राप्त होती है । आपकी भक्ति ही सत्यधर्म है और मैं उसमें लगा हुआ हूँ; अतएव मेरी पुष्टि– मेरे मनोरथ की पूर्ति तो आप अवश्य ही करेंगे । आपका दिव्य श्रीमुख — सच्चिदानंद स्वरूप प्रकाशमय सूर्य मंडल की चमचमाती हुई ज्योतिर्मयी यवनिकासे आवृत है । मैं आपका निरावरण — प्रत्यक्ष दर्शन करना चाहता हूँ, अतएव आपके पास पहुंचकर आपका निरावरण–दर्शन करने में बाधा देने वाले जितने भी, जो भी आवरण प्रतिबन्धक हों, उन सबको मेरे लिए आप हटा लीजिए ! अपने सच्चिदानन्द स्वरूप को प्रत्यक्ष प्रकट कीजिये’ ।। १५ ।।

ईशावस्योपनिषद्
साभार गीता प्रेस
लेखन एवं प्रेषण—
साधक पं. बलराम शुक्ल
नवोदय नगर, हरिद्वार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *