
चलो बाबा की नगरिया काशी बनारसी,
जहां बहती है गंगा, लोग मृदु भाषी।।
डम डम डम डम बाजै डमरू शिव की लीला न्यारी,
भक्तों पर कोई संकट पड़ता मदद करें त्रिपुरारी,
बाबा भोले ओघणदानी करते मन में सब के बासी
चलो बाबा की नगरिया काशी बनारसी।।
शिव की दुलारी, शक्ति स्वरूपा, माँ अन्नपूर्णा प्यारी,
मां की भक्ति जो कोई करता भर देती भोजन थाली
आदिशक्तिको जपना भाई, लीला है अवतारी।
घलो बाबा की नगरिया काशी बनारसी।।
लाचारी मिट जाए जिसकी, जो देते शिव की हाजिरी
अत्याचारी कांपे सुनकर ‘हर हर’ की हुंकारी।
संचारी है ज्योति बही जो, संघारी पाप हजारी,
चलो बाबा की नगरिया काशी बनारसी।।
पुष्पा पाठक छतरपुर मध्य प्रदेश