
“हम”
जीवन के समरांगण में
“क्षत्राणी”
सी सदा सर्वदा,
“हम”
अपने महल में
” इन्द्राणी “
सी सदा सर्वदा।
” हम “
अपने कर्त्तव्य पथ पर
” तपस्विनी “
सी सदा सर्वदा,
” हम “
अपने मानस में
“मनस्विनी”
सी सदा सर्वदा।
” हम “
अपने जीवन में
” यशस्विनी “
सी सदा सर्वदा।
” हम “
अपने प्रवाह में
“ओजस्विनी”
सी सदा
सर्वदा।
“हम”
अपने प्रताप में
“तपस्विनी”
सी सदा सर्वदा,
और
“तुम”
आयु के चंदन वनों में
मलय गिरि से बहे।
“तुम”
जीवन के संघर्षों में
तापसी से रहे,
“तुम”
सहर्ष सारथी से।
“तुम”
जीवन में योगी से,
पूर्ण हो रही है
यात्रा।
पूर्ण हो रही है
यात्रा।।
“हम”
यशस्विनी सी सदा
सर्वदा।
“हम”
तपस्विनी सी सदा
सर्वदा।।
संध्या दीक्षित