आत्मिक शांति और सकारात्मकता का संदेश मौनानुभूति शिविर का भव्य समापन संत डॉ. सौरभ पाण्डेय जी महाराज के सानिध्य में।

आजमगढ़ के ठेकमा विकास खंड कार्यालय परिसर में आयोजित मौनानुभूति शिविर का दिव्य, भव्य समापन हुआ, जिसने आत्मिक शांति, वैचारिक चेतना और मानवीय मूल्यों के उत्थान का संदेश दिया। यह शिविर न केवल प्रतिभागियों के लिए मानसिक शांति का स्रोत बना, बल्कि जीवन को सादगी और सकारात्मकता के साथ जीने की प्रेरणा भी प्रदान की।
कार्यक्रम धरा धाम इंटरनेशनल के प्रमुख और मौनानुभूति के प्रणेता, सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पांडेय जी महाराज के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। अपने प्रेरक उद्बोधन में उन्होंने कहा, “मौन केवल वाणी का त्याग नहीं, बल्कि आत्मा से संवाद और परमात्मा से जुड़ने का सर्वोत्तम साधन है। यह मन को शांत करता है, विचारों को स्पष्ट करता है और आत्मिक आनंद की अनुभूति कराता है।” उनके शब्दों ने उपस्थित लोगों को गहरे चिंतन और आत्म-जागरण की ओर प्रेरित किया और सभी लोग तीस मिनट तक मौन साधना किया।
शिविर का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर संत डॉ. सौरभ पांडेय, अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया, डॉ. विनय श्रीवास्तव और कृपा शंकर राय मंच पर उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथियों डॉ. विनय श्रीवास्तव और कृपा शंकर राय ने अपने विचारों से उपस्थित जनसमूह को प्रेरित किया, जिसमें जीवन प्रबंधन और सकारात्मक सोच पर गहन प्रकाश डाला गया।
शिविर में पधारी स्वयं सहायता समूह के महिलाओं को मौनानुभूति की अनूठी पद्धति का अनुभव कराया गया, जिसे स्वयं संत डॉ. सौरभ पांडेय ने विस्तार से समझाया। मौन चिकित्सा, सामूहिक ध्यान और आत्म-साक्षात्कार की व्यावहारिक विधियों के प्रशिक्षण ने सभी को गहरे मौन के अनुभव में डुबो दिया। ध्यान सत्रों में प्रतिभागियों ने मानसिक तनाव से मुक्ति और नई ऊर्जा का अनुभव किया, जो उनके चेहरों पर शांति और संतुष्टि के रूप में झलक रहा था।
इस शिविर का आयोजन साहित्यकार, विचारक दिव्य प्रेरक कहानियां मानवता अनुसंधान केंद्र सह ब्लॉक मिशन प्रबंधक डॉ. अभिषेक कुमार के नेतृत्व में हुआ। समापन अवसर पर उन्होंने कहा, ऐसे शिविर न केवल आध्यात्मिक जागरण का माध्यम हैं, बल्कि समाज में प्रेम, सौहार्द और नैतिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करते हैं।
यह शिविर समाज में सकारात्मक बदलाव और आत्मिक जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। संत डॉ. सौरभ पांडेय के मार्गदर्शन और आयोजकों के प्रयासों ने ठेकमा में एक ऐसी आध्यात्मिक लहर पैदा की, जो लंबे समय तक लोगों के दिलों में बनी रहेगी।
इस मौके पर महिला शक्ति समूह दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजू कश्यप, संकुल प्रबंधक क्रांति, रानी मिश्रा, अनिता, उमा भारती सहित सैकड़ों समूह की दीदियां उपस्थित थी।