
सुबह है तो प्रकाश का अवतरण है,
वर्ना छाया अंधकार का आवरण है।
सुबह है तो सृष्टि का जागरण है,
सुबह है तो निशा को मौन निमंत्रण है।
सुबह है तो चमकती चांदनी है, सुबह है तो बिखरी छटा मन मोहिनी है सुबह है तो जीवन की उमंगें जवां हैं, सुबह है तो अंधेरे में नाचती शमा है।
सुबह है तो उम्मीद का दिया है,
सुबह है तो जीवन का जागरण है।
सुबह है तो प्रकाश का अवतरण है।।
संध्या दीक्षित