
जीवनपुरम् प्रदेश के मानवगढ़ जिले के श्वसनपुर ग्राम के आस्था नामक गली में हृदयपुरम् मंदिर में आत्मेश्वर भगवान की मूर्ति है , जहाॅं अबाध रूप से संस्कार रूपी अखंड दीप निरंतर जलता रहता है और इस दीप से जो ज्योति निकलती रहती है , उसी ज्योति से भक्त को वरदान स्वरूप सभ्यता , शिष्टता , दया , उपकार , विनम्रता , प्रेम , आदर , स्नेह , सद्विचार और सद्व्यवहार प्राप्त होता है , किंतु ध्यान रहे कि यह दीप शैशवावस्था में ही माॅं जलाती है , तत्पश्चात स्वयं ध्यान देना होता है ताकि वह अखंड दीप कभी बुझने न पाए ।
यदि ध्यान नहीं दिए तो वह अखंड दीप जो माॅं जलाई थीं , धीरे-धीरे आपके गुण रूपी तेल समाप्त होते चले जाऍंगे और अंततः वह अखंड दीप स्वत: बुझ जाएगा और जो वरदान प्राप्त था वह भी वापस हो जाऍंगे ।
फलत: कलह अशांति कटुता गंदगी मस्तिष्क में भर जाऍंगे और उन्नति के स्थान पर अवनति होता आरंभ हो जाएगा , जिससे आयु तन क्षीण होता चला जाता है और हम दीर्घायु के बदले अल्पायु होते चले जाते हैं ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार