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ग़ज़ल

ग़ैर को अपना बना कर देखिये।
बात इतनी आज़माकर देखिये।

दूर के अहसास में रक्खा है क्या,
हर नज़ारा पास जाकर देखिये।

क़ामयाबी के किले नज़दीक है,
हौसले दिल में जगाकर देखिये।

फिर लगेगी ये तरन्नुम जिंदगी ,
गीत कोई गुन-गुनाकर देखिये।

ख़ुश-नुमाई तो बहुत आसान है,
इक ज़रा सा मुस्कुराकर देखिये।
नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार मप्र

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