
(श्रद्धा, भक्ति और शिवत्व से ओतप्रोत)
साँझ ढले जब दीप जले, मंदिर में गूँजे तान,
भोलेनाथ का नाम लेकर जागे जन-जन की जान।
त्रिपुंड धरे, गले में नाग, जटाओं में गंगा बहती,
शिव की महिमा अपरंपार, भक्तों पर कृपा सदा रहती।
डमरू की ताल गूंज रही, चंदन की खुशबू छाई,
कैलाशपति के ध्यान में, हर आत्मा लहराई।
काँवड़ियों की कतार में, उमड़ा श्रद्धा का सागर,
हर हर महादेव की गूंज से काँप उठा ये नागर।
रुद्राभिषेक, भस्म आरती, बेलपत्रों की अर्पण,
हर मन शिवमय हो गया, मिटा अधेरा, हुआ उजास का दर्शन।
नीलकंठ जो विष पी गए, करुणा के सागर कहाए,
जो श्मशान में भी रमते हैं, वहीं तो सच्चे प्रभु कहाए।
भक्तों का हर कष्ट हरें, हर पल करें उद्धार,
शिव की उपासना से मिलता, जीवन को नया आकार।
आज की शुभ महाशिवरात्रि पर,
करें हम सभी यह प्रण —
भक्ति, प्रेम और शांति का
बने हर जीवन में नवप्रभात, नववसंत।
हर हर महादेव!
डॉ बीएल सैनी
श्रीमाधोपुर सीकर राजस्थान