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हेडफोन

ये एक बहुत खूबसूरत सुबह की शुरुआत थी। रात की बारिश के बाद मौसम बहुत सुहावना लग रहा था। आस पास के पेड़ों पर पक्षियों का कलरव सुनाई दे रहा था । सुनीता अपने घर की खिड़कियों के सारे पर्दे हटा देती है और आंगन की एक बड़ी सी खिड़की को खोल अपनी बाहें फैला कर लंबी सांस लेती है मानों सुकून की सांस भर रही हो। सुनीता का यू करना उसके हर दिन की शुरुआत थी। उसे पक्षियों का कलरव, बाहर आती मंदिरों की घंटियों की आवाज में संगीत सुनाई देता था। सुनीता एक सामान्य गृहणी थी। जो सबके हिसाब से अपनी जिंदगी जीती थी बस यही सुबह के कुछ पल वो अपने हिसाब से जीती थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी और वो अपने बालों का हाथों से ही बंद बनाते हुए दरवाजे की तरफ चली गई उसे शायद पता था कि दरवाजे पर कौन है? उसने हाथ में पतीला लिया और दरवाजा खोला , दरवाजे पर दूध वाला था। जिसे देखकर सुनीता ने मुस्कुराते हुए राम राम बोला लेकिन उसने उसका कोई उतर नहीं दिया कैसे देता बेचारे के कानों में हेडफोन लगा हुआ था वो उसमें से कुछ सुन रहा था तो सुनीता का राम राम कैसे सुनाई देता। सुनीता को थोड़ा अजीब लगा लेकिन ये रोज का था तो उसने सर झटक दूध ले दरवाजा बंद कर दिया। दूध को गैस पर चढ़ा वो नहाने चली गई । वह नहाकर आई तब तक दूध भी गर्म हो गया उसने पूजा का सामान तैयार किया और अपने घर में बने पूजा घर में पूजा करने लगी । आरती के समय जब वो घंटी बजाती उसी आवाज से इसके बाकी घरवालों की नींद खुलती थी कुछ इस तरह सबसे पहले उसकी छोटी बेटी तानिया बाहर आई और बोली ,”क्या मम्मी ये सुबह सुबह क्यों इतना तेज घंटी बजाते हो सारी नींद खराब कर दी”। पैर पटकते हुए वापिस अपने कमरे में चली गई। फिर उसके पति देव आए उन्होंने मुस्कुरा कर सुनीता को राम राम किया और भगवान जी हाथ जोड़े और अपनी दिनचर्या की शुरुआत की। फिर आया उसका बेटा “, मम्मा मेरे हेडफोन कहां है एक तो सुबह सुबह ये घंटियां बजा देते हो”। वो झल्लाते हुए फ्रिज के ऊपर से अपना हेडफोन ले कमरे को बंद कर म्यूजिक चला कर एक्साइज करने लगा । ये इसके दिन की शुरुआत थी ये उसके रोज का काम था लाउड म्यूजिक के साथ एक्साइज करना । सुनीता बहुत समझाती कि बेटा इतना हेडफोन कानों में लगाकर रखने से बहुत नुकसान है लेकिन वो बस हर बार ये ही कहकर टाल देता  ,”मम्मी कोई चीज बनी है तो उसका फायदा भी लेना चाहिए।”

एक सुबह सुनीता ने फिर उसी तरह अपने दिन की शुरुआत की और बाकी सबने भी लेकिन ये सुबह एक खतरनाक सुबह थी सुनीता के जीवन में। चाय पीते हुए अचानक सुनीता के पति के सिने में तेज दर्द उठा वो उन्हें संभालते हुए अपने बच्चों को आवाज लगाने लगी लेकिन दोनों ने हेडफोन लगा रखे थे तो कुछ न सुनाई दिया। उसने अपने बेटे के कमरे का दरवाजा बार बार खटखटाया लेकिन तेज म्यूजिक सुनते हुए एक्साइज करते हुए उसे कुछ पता न चला । सुनीता ने भागकर पड़ोसियों का दरवाजा खटखटाया जिनमें से एक बुजुर्ग चाचा जी ने दरवाजा खोला सुनीता को घबराया हुआ देखकर उन्होंने भी अपने बेटे को आवाज लगाई लेकिन वह भी तेज म्यूजिक के साथ एक्साइज कर रहा था। दौड़ कर चाचाजी ही आए लेकिन जब तक सुनीता और चाचाजी उसके पास पहुंचे उसके शरीर से प्राण जा चुके थे सुनीता की दुनिया ही उजड़ गई थी। धीरे धीरे आस पड़ोस वाले आने लगे । सुनीता का बेटा जब एक्सरसाइज कर बाहर निकला और अपने घर में इतने लोगों को देख अचंभित हो गया जब पूरा मामला पता चलने पर उसके पास  सिवाय पछतावे के कुछ नहीं बचा । दोनों बच्चे खुद को कोसने लगे कि काश वो अपनी मम्मी की आवाज सुन पाते तो उनके पापा को अस्पताल ले जाया जा सकता और उन्हें बचाया जा सकता ।

दोस्तों कहानी पर विचार जरूर करना ये सिर्फ सुनीता की कहानी नहीं हम सब की कहानी ही ये आज हम सबकी की रोजमर्रा की जिंदगी हैं। चीजों का इस्ताम करो लेकिन उसके उपयोगिता का हिसाब से।

जय माता जी की सा
विद्या बाहेती महेश्वरी राजस्थान

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