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शहीद का परिवार

एक साधारण सा घर , घर के आगे थोड़ी सी खाली जगह में एक नीम का बड़ा सा पेड़ लगा हुआ , घर के अंदर बड़ा सा आंगन और तीन कमरे ,घर के अंदर ही छत पर जाने की सीढ़ियां बनी हुई , उन सीढ़ियों में एक तस्वीर लगी हुई है जिसमे एक आदमी, एक औरत ,ओर दो बच्चे है बहुत ही प्यारी तस्वीर है ।

रसोई में एक 50 साल की औरत खाना बना रही है ,उसका पहनावा बिलकुल साधारण है ,रसोई पूरी व्यवस्थित है और वो बहुत ही जल्दी जल्दी काम कर रही है उसके चहरे पर एक मुस्कान है वो बहुत उत्साहित है जैसे आज कोई प्रिय आने वाला हो और वो उसकी के लिए खाना बना रही हो बार बार घड़ी की तरफ भी देख रही है जिस से ये तो मालूम हो रहा है की वो किसी के आने का इंतजार कर रही है।

तभी एक आवाज आती है, मां , मां ये एक लड़की की आवाज है जो सीढ़ियों से नीचे उतर रही है बड़ी जल्दी में लग रही है रसोई में आकर अपनी मां से बोलती है मां बहुत अच्छी खुशबू आ रही है , आपने सब भाई के पसंद का बनाया है ना ,तभी पूरा घर महक रहा है खाने की खुशबू से । भाई आते ही बोलेंगे की मां के हाथ के खाने की खुशबू मुझे शरहद तक आती है।
मां: चुप कर झल्ली , देख तेरी भाभी तैयार हुई की नहीं समय हो गया है भाई किसी भी वक्त आता होगा ।
लड़की: मां, शांत मां ,शांत अभी देख कर आई हूं भाभी बिलकुल दुल्हन की तरह तैयार है । पता है भाभी ने वही साड़ी पहनी है जो उन्होंने अपनी पहली रात में पहनी थी ,पर भाई बिना देखे ही चले गए । कैसा लगा होंगा भाभी को ? कितनी मायूस हो गई थी। अच्छा है भाई जल्दी ही वापिस आ रहे है ।

तभी बाहर से गाड़ी की आवाज आती है लड़की जोर से चिल्लाती है मां, भाभी ,जल्दी आओ भाई आ गए है और वो खुद दरवाजा खोलने चली जाती है…..

जब दरवाजा खोलती है तो दो फौजी गाड़ी से उतरते है जिन्होंने एक अर्थी को पकड़ रखा है और दो पीछे से उतरते है और आगे आकर उसे सैल्यूट करते है ।उस लड़की को कुछ समझ नहीं आता है वो बस अपनी आखें बड़ी बड़ी कर असमंजस की स्थिति में जो हो रहा है उसे देखती है , गाड़ी से एक अर्थी को तिरंगे में लिपटे हुए शव को लाकर आंगन में रख दिया जाता है और एक फौजी बोलता है..
फौजी: बहन मेजर अविनाश एक बहादुर और वीर सिपाही थे ,उन्होंने जंग में अपनी वीरता का प्रदशन करते हुए मौत को अपने गले लगा लिया उन्होंने पूरी 10 गोलियां अपने सीने में झेली है उनकी वीरता से हमें जंग में विजय प्राप्त हुई है बहन देश को इनकी वीरता पर गर्व है ।
बहन : क्या … क्या बोल रहे है आप बस बहुत हुआ मजाक ये सब मुझे पता है भाई ने बोला है आपसे ऐसे बोलने की लिए रुको मैं मां को बुलाती हूं मां की आवाज सुनेगे ना भाई मजाक करना बंद कर देंगे ।
मां .. मां…
उस बहन को लगता है उसका भाई मज़ाक कर रहा हैं।
मां रसोई से साड़ी के पल्लू से अपना हाथ पूछते हुए बाहर आती है । अरे! क्या हुआ ?आ रही हूं कोन है? तू किस से बातें कर रही है ? जैसे ही रसोई से बाहर आती है और आंगन में तिरंगे से लिपटे शव को देखती है वहीं धड़ाम से नीचे घुटनों के बल बैठ जाती है और जोर जोर से चिल्लाती है मेरा लाल ,मेरा लाल 😭😭😭😭 …..
नीचे का शोर सुन अपने कमरे में बैठी एक दुल्हन की तरह सजी युवती नीचे भागती हुई आती है ,लाल जरी की साड़ी,हाथो मे भरा हुआ चूड़ा, लाल लिपस्टिक ,आंखों में गहरा काजल , उसके गोरे रंग पर ये सब बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
जल्दी जल्दी सीढ़ियों से आकर कहती है क्या हुआ बस इतना ही बोलती है उतने में अपने सुहाग को तिरंगे में लिपटे हुए देखती है वो सुहाग जो उसे सुहाग रात की सेज में छोड़कर जंग में चला गया था ।
वो धीरे धीरे उस शव के पास आती है और कांपते हाथो से तिरंगे को उसके मुंह से हटाती है जैसे ही उसका चहरा दिखता है फौजी की बहन भाग कर आती है और बोलती है …
भाभी: भाई मजाक कर रहे है इनकी आदत है मजाक करने की आप रुको मैं अभी मां के हाथ की बनी चटनी और रोटी लाती हूं उसकी खुशबू से भाई एक सेकंड में उठ जायेंगे और वो जल्दी जल्दी चटनी रोटी ले आती है और उसके पास बैठ बोलती है देखो भाई मां ने आपके लिए बनाई है आपको इसकी खुशबू नहीं आ रही उठिए न भाई बहुत हो गया मजाक देखो अब नहीं उठे न में मां को बोलूंगी , फिर मां के पास जाती है मां देखो ना भाई नहीं उठ रहे मां तुम कहो भाई को मां बोलो तो पर मां ने तो जैसे अपने होश ही खो दिए हो बस एक टक अपने लाल को निहार रही थी।
भाभी देखो मां और भाई कुछ नहीं बोल रहे आप बोलो भाई को की वो मजाक बंद करे ।
भाभी: एक लंबी सांस लेकर दीदी अब आपके भाई कभी नहीं उठेंगे ,वो हमारे लिए हमें छोड़ गए है ।
बहन : नहीं भाभी ऐसा केसे हो सकता है ? जब छोटी थी तो पिताजी चले गए अब भाई नहीं भाभी ऐसा नहीं हो सकता और पागलों की तरह रोने लगती है ।
वो लड़की जिसने अभी अभी सिंदूर भरा था जिसके नाम का वो नाम अब मिट चुका था , उस लड़की ने जमीन पर जोर से अपने हाथों को पटका जिससे उसका चूड़ा टूट गया ।
आज एक परिवार ने अपना सब कुछ खो दिया था ।

एक मां ने अपना लाल,एक पत्नी ने अपना पति ,एक बहन ने अपना भाई ।
और एक औरत ने अपना इंतजार जिसने अपनी ही सुहाग सेज से अपने संजना को विदा किया था जंग के लिए और वही उसे हमेशा के लिए उसी सेज पर अकेला छोड़ गया आज खतम हो गया उसका इंतजार।जंग में जीत तो ही जाती है लेकिन उस जीत में हम बहुत कुछ खो देते हैं।

कितना मुश्किल होता है पूरा मंजर अपनी ही आखों के सामने देखना क्या केसे संभाल पाते होंगे वो परिवार अपने आपको जिन्होंने अपना सब कुछ खो देते है एक जंग में।।

जय हिंद
जय माता जी की
विद्या बाहेती महेश्वरी राजस्थान

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