
अश्कों का आंखों से,
कांटों का गुलाब से
नाता जो।
अंधेरी रातों का दर्द से,
सिसकियों का प्रेम से,
नाता जो,
ऐसा जिससे रहे,
होता सखा वही।
कहलाता साथी वही।।
साथ निभाता सुख दुख में वही।
कहलाता साथी वही।।
स्वरचित
संध्या दीक्षित