
पूजि रहीं सब नारि शिवा सह,
शिवजी को भर अति अनुराग।
औघड़दानी शिवशंकर जो,
जिनसे भरा प्रकृति में राग।।
आया है त्योहार तीज शुभ,
हरियाली तीजा कहलाय।
भरी उमंगों में सुहागिनें,
पूजें शिव-गौरी चितलाय।।
रत्नजटित चौकी पे विराजे,
शिव, दायें गौरी सुकुमार।
रुप-राशि शुभ छटा छिटकती,
होती ज्योति, सजे सब द्वार।।
दो-दो दायें-वायें सुहागिनि,
अष्ट सिद्धि पीछे हरषाय।
मानो खड़ी हुई पूजे हैं,
जान सुअवसर तीजा आय।।
मण्डप सुन्दर सजा हुआ है,
खम्भों पर प्रसून रहे छाय।
आम-पत्र मण्डप पर छाये,
शीतल, सुखद हवा चलि आय।।
पूजि रहीं रखि सब सामग्री,
पूजा-थार सभी सामान।
हाथ जोड़कर गाती तीजा,
देवी-गीत करें शुभ गान।।
सबको रखियो सुखी मातु तुम,
हरियो भव-बाधा सब जान।
जगत जननि कर पूरी मुरादें,
करियो इस जग का कल्याण।।
रचना-
पं० जुगल किशोर त्रिपाठी (साहित्यकार)
बम्हौरी, मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)