
रक्षा , स्नेह ,बंधन का है ये लम्हा
भाई बहन के रिश्ते का है ये त्यौहार
खुशियों का क्षण है
दुआओं का पल है
ओ बहना बहना मेरी
तू ही मेरी मान है
भाई के कलाई में बांधती है रक्षा की डोर
दुखों के हर छोर पर करती है रक्षा ,बहन की डोर
ये डोर नहीं धागे का , पुखराज मोती का
ये हैं बहन के मुस्कान का, स्नेह संबंध अनुराग का .
ये पर्व है भाई बहनों का, कलाई के सम्मान का ,मीठे रसीले मिष्ठानो का
करूंगा तेरी रक्षा ,भाई वचन देता है
सम्मान है मेरी बहना , भाई यही कहता है।
लेखक
लक्ष्मीनारायण पात्र
देवभोग जिला गरियाबंद
छत्तीसगढ़