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क्या रामायण यात्रा वृतांत है?


 यात्रा वृतांत अकाल्पनिक गद्य विधा है। इसमें यात्राकार सामना की गई परिस्थितियों के यथार्थ अंकन का प्रयास करता है। हालांकि कलात्मक अभिव्यक्ति होने के कारण कल्पना से नकारा नहीं जा सकता परंतु यात्रावृत्त में चित्रित प्रत्येक दशा यात्राकार की निजी अनुभूति होती है। 
 एक यात्रा वृतांत में उस स्थान का विशद वर्णन होता है जिसमें आप यात्रा कर रहे हैं, किसी स्थान पर जाने के व्यक्तिपरक अनुभवों का विवरण होता है। यात्रा लेखन आमतौर पर किसी विशेष स्थान के आकर्षण के बारे में लुभाने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें उसे स्थान पर अपनी छुट्टियां बिताने के लिए प्रेरित करता है। 
 यात्रा के रोचक, रोमांचक एवं ज्ञानवर्धक अनुभवों का सांगोपांग वर्णन जो अपने अनुभव किया, उसको पाठकों के साथ साझा करने का उत्कट भाव, ताकि वे भी कुछ वैसा ही आनंद ले सकें। साथ ही कुछ ऐसी मूलभूत जानकारियां पा सके, जो उनकी यात्रा को सरल और सुखद बनाए या यों कहें कि यात्रा वृतांत एक यात्री द्वारा यात्रा के दौरान अपने अनुभवों का दिया गया सच्चा विवरण है।
 राहुल सांकृत्यायन को भारतीय यात्रा वृतांत का जनक भी कहा जाता है। एक यात्रा वृतांत का तात्पर्य किसी स्थान का वर्णन करना है। कुछ मामलों में, यात्रा विवरण अधिकतर मनोरंजन के लिए होते हैं। अन्य मामलों में उन्हें यथासंभव अधिक से अधिक स्थानिक जानकारी प्रसारित करने के लिए डिजाइन किया गया है ताकि पाठक को किसी क्षेत्र की जानकारी पूर्ण समझ हो।
यात्रा लेखन में कुछ बिंदुओं पर ध्यान रखना अति आवश्यक है तभी लेखन को प्रभावशाली बना सकते हैं--

1.भाव प्रवण्ता– आप जितना उस स्थान व यात्रा को दिल से फिल करते हैं, उसी अनुपात में आप उसे शब्दों में संप्रेषित कर सकते हैं। इस तरह घुमक्कड़ी का जुनून, यात्रा के लेखन में ईंधन का काम करते हैं।
2 .रोचकता–जो पाठकों को रुचिकर लगे, जिससे पाठकों का मनोरंजन हो, ऐसे तथ्यों, जानकारी तथा अनुभवों का प्रस्तुतीकरण, जिनको पाठक रुचि के साथ पढ़ते हुए उसका हिस्सा बनकर यात्रा का आनंद ले सकें।

  1. ज्ञानवर्धक–यात्रा वृतांत पाठकों के ज्ञान का वर्णन करते हैं, अतः यहां रिसर्च का महत्व स्पष्ट हो जाता है, जिसे एक यात्रा लेखक यात्रा से पहले, इसके बाद और यात्रा के साथ अपने ढंग से अंजाम देता है। किसी स्थान से जुड़े नए ऐतिहासिक, पौराणिक भौगोलिक व अन्य जानकारियां निसंदेह रूप में वृत्तांत को ज्ञानवर्धक बनती हैं व पाठकों के ज्ञान भंडार में इजाफा करती है।
  2. खोजी दृष्टि–अमुक स्थल, घटना, परिवेश में क्या कुछ छिपा है, आप अपनी खोजी दृष्टि के आधार पर उभार सकते हैं, प्रकट कर सकते हैं। यह पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक अनुभव साबित होता है।
  3. सामयिकता–सामूहिक संदर्भ में यात्रा की उपयोगिता को उभारा जा सकता है, यदि आप देश दुनियां और जमाने की समकालीन घटनाओं से वास्ता रखते हैं तो उसे स्थान विशेष से जुड़ी घटनाओं के प्रति अपडेट हों। सामान्य ज्ञान के साथ तात्कालिक घटनाओं को अपने यात्रा वृतांत से जोड़ पाएंगे तथा यात्रा वृतांत जानकारियों की दृष्टि से उतना ही पठनीय बनेगा।
  4. चित्रात्मकता– यह यात्रा वृतांत का एक महत्वपूर्ण तत्व है, की एक लेखक परिवेश को किसी जीवंतता के साथ शब्दों के माध्यम से उकेर पाता है। यात्रा का जीवंत चित्रण महत्वपूर्ण रहता है, जिसमें दृश्य को बताने के वजाय दिखाते हैं।
  5. भाषाई सरलता- तरलता–भाषा की सरलता लेख को ग्राह्य बनाती है, जिसको पाठक का दिलों दिमाग आसानी से ग्राह्य कर सके। यही पाठक को शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखती है और एक प्रभावशाली यात्रा लेखन को संभव बनाती है।
  6. मौलिक प्रस्तुतीकरण–हर सृजन की तरह यात्रा लेखन में भी लेखक के व्यक्तित्व की छाप होती है, जो इमानदारी व संवेदनशीलता के साथ यात्रा से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते-करते स्वत: ही प्रस्फुटित होती है।
  7. लेखन शैली –इसके साथ ही यात्रा वृतांत की लेखन शैली एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो समय के साथ विकसित होती है। और यह हर व्यक्ति की उसके स्वभाव प्रकृति एवं पृष्ठभूमि के अनुरूप विशिष्ट होती है, भिन्न होती है व उसके व्यक्तित्व की छाप लिए होती है और यही उसका अपना एक अलग लेखन का अंदाज वह शैली भी बन जाती है।
    यात्रा वृत्तांत के बिन्दुओं को मद्देनजर देखते हुए मेरा मानना है कि रामायण यात्रा वृत्तांत नहीं है।
    क्योंकि —
    1- -यात्रा वृतांतआधुनिक विद्या है, रामचरितमानस प्राचीन काव्य है।
    2–यात्रा वृतांत गद्य में लिखा गया साहित्य है। जबकि रामचरितमानस पद्य में लिखा गया साहित्य है।
    3–यात्रा वृतांत में यात्रा का वर्णन रहता है, जबकि रामचरितमानस में राम कथा का आख्यान है।
    4–यात्रा वृतांत का रचनाकाल वृत्तांत लेखन होता है, रामचरितमानस का रचयिता महाकवि तुलसीदास हैं।
  8. यात्रा वृतांत निजी या सामूहिक होता है,रामचरितमानस बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लिखा गया महाकवि तुलसीदास का महाकाव्य है, जिसकी रचना का उद्देश्य गंगा की तरह सबका कल्याण करना है:-
    कीर्ति भिनिति भूति भलि सोई।
    सुरसरि सम सब कहं हित होई।
    रामचरितमानस को यात्रा वृतांत कहना अपनी मूर्खता को प्रकट करना है। किसी भी दृष्टि से रामचरितमानस को यात्रा वृतांत नहीं कहा जा सकता। डॉ मीना कुमारी परिहार

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