
है, तू … राष्ट्र गौरव ,
राष्ट्र की तू ..शान है ।
मान है ..हम सबका ,
तू ..हमारा अभिमान है ।
नित.. रहें नतमस्तक
सजदे… में तेरे ….
तेरी रक्षा.. में हो तन मन ,
न्योछावर …हम सभी का
ऐसा ….अरमान है।
तीन रंगों से.. सुसज्जित ,
देश का… तू भाल है ।
तीन रंगों की …कल्पना ही ,
अद्भुत …और कमाल है ।
बलिदान, शांति और..
प्रगति का… तू प्रतीक है।
मध्य में स्थित …चक्र जो ,
दें रहा संदेश… निरंतरता का
चिरकाल… है ।
ध्वज तले …निज धर्म में
ना बंधे… हम बस एकता
का ….अहसास हो …..
धर्म बंधनों से.. मुक्त होकर
देश के लिए ….सम्मान हो ।
तू …उन्मुक्त पवन संग,
यूं ही…. लहराता रहे ….
गगन को …छूती हुई
हमेशा तेरी ..पताका रहे।
देखें तुझे जब भी.. बलिदान ,
शहीदों के…याद आते रहें ….
आयें देश के… काम हम ,
नित… निज प्रण दोहराते रहे।
उर्मिला ढौंडियाल ‘उर्मि’