
जश्न मनाओ प्यारे लोगों, दिन आजादी का आया।
लाखों हुए शहीद देश हित, सबने उनका गुण गाया।।
एक समय जब अंग्रेजों ने सब पर जुल्म बहुत ढ़ाये।
तब वीरों ने मिलकर इक संग, किया विरोध वे हरषाये।।
अंग्रेजों को मार भगाया, जगह-जगह से दिया खदेड़।
छापामार युद्ध कर उनसे, करे सिंह ज्यों जंगल भेड़।।
जब नहीं माने किया बहिष्कृत, उनकी निर्मित चीजों का।
सरकारी सम्पत्ति नष्ट की, न किया प्रयोग उन चीजों का।।
नमक स्वदेशी खाया अपना, सत्याग्रह आन्दोलन छेड़।
असहयोग आन्दोलन जागा, मिलकर दुश्मन दिया खदेड़।।
जगह-जगह चिंगारी फूटी, आजादी का जश्न हुआ।
दिये जले हर गली, घरों में, जन-जन का उर मग्न हुआ।।
आज उसी आजादी को हम, यहाँ मनाने आये हैं।
अमर शहीदों की गाथायें, उन्हें बताने आये हैं।।
बच्चा-बच्चा आज है हर्षित, नर-नारी सिर कलश रखें।
गाते कजरी तीज, भुजरियों, संग आजादी महंक उठे।।
रचनाकार-
जुगल किशोर त्रिपाठी (साहित्यकार)
बम्हौरी, मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)