
मेरे देश की मिट्टी जीवन हैजिसमें हमने है जन्म लिया,
जिसका भोजन कर बड़े हुए,प्यास बुझाने को जल पिय
यह मेरे देश की मिट्टी है,जिसमें बचपन हमने जिया,
जिसके आँचल में सुख पाया,जिससे इस तन में बल पाया।।
यह मेरे देश की मिट्टी हैजिससे यह निर्मित हैकाया
जिसके खेतों में अन्न उगा जीवन हेतु भोजन पाया।।
यह मेरे देश की मिट्टी हैजिस पर हम चैन से सोए,
जिसकी गोदी में हँसे, बढेजिसके आँचल में हम रोए।।
है कसम हमें इस मिट्टी की,इसका मान बढ़ाएँगे,
प्राण रहें जब तक तन में, शत्रु को सदा हराएंगे।।
पुष्पा पाठक
छतरपुर मध्य प्रदेश