
लोग कहते हैं …..
पैसा हाथ का मैल है,
फिर क्यों इसकी ख़ातिर
दौड़ते हैं सुबह से रात तक,
साँसों तक को गिरवी रख देते हैं?
जरूरत सबको है,
फिर यह मैल कब, कैसे बन गया?
यहाँ पैसा ही दुनिया है,
और दुनिया भी पैसे से चलती है।
सत्ता को चलाता पैसा,
गिरती सत्ता को सँभालता पैसा।
रोब भी बेचता है पैसा,
और रोबदार भी बना देता है।
यहाँ ज़मीर बिकता है पैसों में,
निवाला मिलता है पैसों में,
ख़्वाब सजते हैं पैसों में ….
और टूटते भी पैसों में।
आर एस लॉस्टम