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क्या हमारा देश आजादी के 78 साल बाद भी सही मायने में आजाद है..?

“सर झुकते हैं देश के शहादत में,
जो कुर्बान हो गए देश की हिफाजत में”
आज हमारे भारतवर्ष को आजाद हुए 77 साल पूरे हो चुके हैं और देश 78वां स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाने जा रहा है। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ था। भारत को लगभग 77 वर्ष पहले स्वतंत्रता प्राप्त हुई फिर भी यह वास्तव में स्वतंत्र नहीं है।
भारत हमारा ‘स्वतंत्र देश’। जिसके स्वतंत्र सुनने के आभास से ही हमारा मन हिलोरें करने लगता है, एक सपनों भरी उड़ान की धारा मन में बहने लगती है।
कहने को तो हम स्वतंत्र देश में रहते हैं, हम दिखाते भी ऐसा ही है कि
हम जैसे स्वतंत्र विचारों वाले ,खुली सोच वाले, खुले दिलवाले इंसान इस दुनिया में और कोई नहीं है। लेकिन हकीकत में नजारा कुछ और ही होता है कुछ और ही दिखाई पड़ता है। जी हां ,यह बात कटु सत्य है। इतने वर्षों की आजादी के बाद भी हम वास्तव में आजाद नहीं हुए हैं। आज स्वतंत्र भारत का परिदृश्य ही कुछ और है।
इस स्वतंत्र भारत में बातें तो हम स्वतंत्रता की बहुत करते हैं चाहे बात दिल्ली गैंगरेप कांड की हो या फिर हर रोज छोटी बच्चियों युवतियां या फिर सारे छेड़छाड़ की शिकार होने वाली महिलाओं की हो धन लोभियों द्वारा दहेज के लिए दी जाने वाली नारियों की बलि की हो, उन्हें प्रताड़ित करना मारना ,काटना , जलाना यह सब भारत के आम परिदृश्य हैं। एक तरफ सत्ताधारी नेताओं द्वारा अपराधियों के साथ किए गए गठजोड़ कई सामाजिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं फलस्वरुप दंगों विस्फोटों और दुर्घटनाओं से देश त्राहिमाम है और हम बात करते हैं स्वतंत्रता की आजादी की। इससे देश के उन सफेदपोश नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता ना ही वह इसमें अपनी रुचि दिखाते हैं। बस थोड़े दिन अपने भाषणों में आतंक और उन हमलों की निंदा करके वह अपने आप को बचाने में सफल हो जाते हैं।
आज भी स्वतंत्र भारत पर एक प्रश्न चिन्ह लगा हुआ? अगर सचमुच भारत देश स्वतंत्र है ,आजाद है तो फिर उस आजादी की उस स्वतंत्रता की सही मायने में क्या परिभाषा होनी चाहिए।
स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं की स्वच्छंद होकर मनमानी की जाए। अपनी मर्यादा को भूल कर सरेआम अनैतिक कृत्य किए जाएं। यह आम आदमी की सोच से परे है। क्या सही क्या गलत यह करने से पूर्व सोचे तभी स्वतंत्रता का असली आनंद उठा सकते हैं। तब हम गर्व से कह सकते हैं कि हम भारतीय होने के साथ-साथ स्वतंत्र हैं ,आजाद हैं
“जहां हर धर्म और हर मजहब के लोगों को
अपने अपने हिसाब से जीने की आजादी है
वही मेरा देश हिंदुस्तान है
“मेरा ‘हिंदुस्तान’ महान था महान है और महान रहेगा।”

जय हिंद ,जय भारत,
मेरा भारत महान था,
और हमेशा रहेगा।

डॉ मीना कुमारी परिहार

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