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तिरंगा

मम्मी देखो न दादाजी मुझे झंडा नहीं लेकर दे रहे , मुझे लगना है अपनी साइकिल पर आप पापा से मंगवा दो न । आरव अपनी मम्मी सीमा से झंडा दिलवाने की जिद्द कर रहा था। कल 15 अगस्त था आजादी का दिन जश्न का दिन तिरंगा का दिन आरव भी अपने दोस्तों की तरह अपनी नई साईकिल पर तिरंगा लगना चाहता था लेकिन उसके दादाजी ने उसे मना कर दिया जिससे दुखी होकर वह अपनी मम्मी से कहता है तिरंगा मंगवाने को ।

सीमा : आरव बच्चे दादाजी ने बाकी सारी चीजें दिलवा दी है तो वो झंडा भी दिलवा देंगे बच्चा इसे जिद्द नहीं करते। सीमा उसे समझाते हुए बोलती हैं।

आरव : नहीं मम्मी दादाजी ने मना कर दिया और बोलते राष्ट्र ध्वज है साईकिलों , गाड़ियों और मोटर साईकिलों या इधर उधर कहीं लगाने की चीज नहीं हैं। राष्ट्र ध्वज का सम्मान करना सीखो।
ये बात सुन सीमा को समझ आता है कि उसके ससुर जी आरव को झंडा क्यों नहीं दिलवा रहे हैं। तब वह अपने ससुर जी के पास जाती है और कहती हैं,”पापाजी अपने आरव को झंडा क्यों नहीं दिलवाया ये बात आप आरव को अच्छे से समझाइए अगर मैं कहूंगी तो उसे लगेगा मम्मी तो हर बात पर दादाजी की साइड लेती हैं । आप आरव को बताइए कि कैसे हमें अपने राष्ट्र ध्वज, या राष्ट्र गान का सम्मान करना चाहिए , कल मैं बाजार गई तो वहां किसी के फोन में राष्ट्र गान की रंग टोने बजी मन तो किया इसे बोलूं लेकिन मैं उन्हें जानती नहीं थी तो कुछ नहीं बोला लेकिन पापा जी हम अपने बच्चों को तो समझा ही सकते हैं।”

पापाजी: बिल्कुल सही बात है सीमा बिटिया हम अपने बच्चों को तो सीख दे सकते हैं और वो आरव को आवाज लगाते हैं, “आरव आरव बेटा कहां हो? इधर आओ तुम्हें कुछ दिखाना हैं”।
आरव भागता हुआ आता है बच्चों को कोई चीज देखने की उत्सुकता ज्यादा होती हैं।
आरव : क्या दादाजी क्या दिखा रहे हैं ?
इधर आ मेरे बच्चे मेरी गोद में आजा हम दादा पोते यहां खिड़की के पास बैठते है थोड़ी देर। दादाजी उसे अपनी गोद में खिड़की के पास बिठा लेते है और आते जाते लोगों को दिखाते हुए उसे आजादी के कई किस्से सुनाते हैं , तभी वहां से एक मोटरसाइकिल गुजरती है जिसके दोनों हैंडल पर तिरंगा लगा हुआ था । मोटरसाइकिल की स्पीड और हवा की वजह से एक हैंडल का तिरंगा उड़ कर जमीन पर गिर गया और वह मोटरसाइकिल सवार बिना उसे वापिस उठाएं उतनी ही स्पीड से वहां से निकल गया दादाजी ने आरव को बाहर भेजा और वह तिरंगा उठा कर लाने को बोला। आरव बाहर जाकर वह तिरंगा उठा लाया और दादाजी को दे दिया , दादाजी ने पहले उसे अपने माथे से लगाया और फिर उसे अपनी सबसे ऊपर वाली अलमारी पर लगा दिया ।
आरव ने ये सब देखा तो उसके मन में कई सवाल आ गए वह प्रश्नात्मक नजर से अपने दादाजी के तरफ देख रहा था। दादाजी उसकी मन की बात को जान गए और उसे फिर से खिड़की के पास बिठाते हुए बोले , आरव बेटा ये राष्ट्र ध्वज हैं ज़मीन पर कचरे की तरह या प्लास्टिक की थैलियों की तरह उड़ने वाली वस्तु नहीं हैं ये हमारा गौरव हैं, इस तिरंगे के लिए बहुत सारे बलिदान हुए हैं, आज हम इस तिरंगे को अपने हाथ में ले पा रहे है क्योंकि हम आजाद है, लेकिन ये आजादी हमें फ्री फोकट नहीं मिली जो हम इसे यूं कचरे में उड़ाए इसके लिए कई माताओं ने अपने लाल निछावर किए हैं, बेटा हमने कई वर्षों तक लगातार लड़ाई लड़ी तब जाकर हमें हमारा ये तिरंगा मिला, और आज भी इस तिरंगे की रक्षा के लिए हमारे सैनिक सीमाओं पर दिन रात लगे हुए हैं। आजकल तुम बच्चे 15 अगस्त , 26 जनवरी के दिन ये तिरंगा कहीं भी लगा लेते है और फिर चाहे ये कचरे की तरह इधर उधर पड़ा मिले किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। बेटा तिरंगा लगाने से , राष्ट्र गान को अपनी रिंग टोन बनाने से हम देश भक्त नहीं हो जाते , हम देश भक्त तब होंगे जब हम अपने देश के मान को सम्मान देंगे , तिरंगे को सर से ऊंचा रख उसे सलाम देंगे , राष्ट्रगान में सावधान की मुद्रा में खड़े होंगे । बेटा ये हमारे देश का गौरव है और हम देश के नागरिक ही इनका सम्मान नहीं करेंगे तो विदेशी क्यों करेंगे? इसलिए मैंने तुम्हें तिरंगा नहीं दिलवाया । बच्चा तिरंगा कोई स्टीकर नहीं है जो कही भी चिपका लो ये हमारी आन, बान ,शान हैं। हमें हमेशा अपने राष्ट्र धरोहर की रक्षा करनी चाहिए। देश भक्त होने के लिए जरूरी नहीं हम सीमा पर जाकर ही लड़ाई करे , हम अपने घर पर भी देश भक्त बनकर रह सकते हैं अपने देश का सम्मान बचा सकते हैं । “
आरव: थैंक यूं दादाजी आपने मुझे बहुत अच्छी बात बताई अब में अपने सारे दोस्तों को बताऊंगा कि तिरंगा किस तरह फहराया जाता है और कैसे उसका सम्मान करना होता हैं। आरव को तो समझ आ गया लेकिन हम कब समझेंगे इस बात को?

जय हिन्द
जय माता जी की
विद्या बाहेती महेश्वरी राजस्थान।

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