
पद 1:
आप सभी ने मौका दिया मुझे, आज के दिन बोलने का।
आज हम सब मना रहे हैं , यह शुभ दिन आज़ादी का।
आज़ादी क्या शब्द मात्र है? या है जीवन का कोई मंत्र?
सुनो, सुनाता हूँ आपको, क्या है आज़ादी का यह तंत्र।
पद 2:
आज का मानव अब क्यों चाहता है, जीवन में आज़ादी?
आज़ादी तो मिली है हमें, फिर भी क्यों चाहिए आज़ादी?
गर्भ में जब जीव जन्म लेता, होती चाहत आज़ादी की,
माँ चिंता में डूबी रहती, चाहत उसकी भी आज़ादी की।
पद 3:
जन्म से तीन साल तक, नहीं पता होता आज़ादी का,
जब हुए हम तीन साल के, पता मिला आज़ादी का।
माता-पिता जिसे नहीं कहते, वही करना आज़ादी थी,
यह आज़ादी नहीं, यह तो मात्र बचपन की जिद थी।
पद 4:
पाँच से बीस वर्ष की उम्र में, होता आज़ादी का नवरंग,
दिनभर खेल-कूद और रात को, होते मोबाइल के संग।
यह आज़ादी न मिले तो, आज के बच्चे हो जाते हैं तंग,
इन्हें यदि माँ-बाप रोकें टोकें, तो कर देते हैं रंग में भंग।
पद 5:
क्या होती है आज़ादी बीस से तीस वर्ष के बच्चों की?
चाहिए उन्हें रोज़ाना आज़ादी, पिज़्ज़ा-बर्गर खाने की।
घर के एक कमरे में बैठकर, होती है चैटिंग से बात,
ऑफिस की छुट्टी के दिन, जाते हैं मॉल दोस्त के साथ।
पद 6:
तीस से चालीस उम्र वाले यंग भी क्या चाहते हैं आज़ादी,
थक जाने पर ऑफिस में चिल ज़ोन में बैठने की आज़ादी।
चालीस से साठ वाले कभी नहीं करते, आज़ादी की बात,
बच्चों की परवरिश पूरी करके, रहते हैं परिवार के साथ।
पद 7:
इस जीवन में सांसों का अविरल चलना ही है आज़ादी,
हृदय में बसे परमात्मा के दर्शन होना ही है आज़ादी।
आजादी कोई शब्द नहीं, यह जीवन का है अहसास,
धन्यवाद प्रभु आपको, आज़ादी से चल रही यह सांस।
योगेश गहतोड़ी