Uncategorized
Trending

चित्राधारित कविता


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

अंधेरी रात, कारागार में जन्म लिया,
मुरलीधर ने धरती पर रूप धरा।
भय और बंधन के बीच खिला प्रकाश,
आया नंदलाल, मिटाने हर अशुभ आभास।

वसुदेव उठाए सिर पर टोकरी महान,
शिशु कान्हा सोए थे शांत, मुस्कान।
यमुनाजी उमड़ी, लहरें तेज़ हुईं,
पर प्रभु की लीला से राहें सरल हुईं।

शेषनाग फैलाए फन, छत्र बन गए,
बूंद-बूंद से ललित कान्हा बचाए गए।
धरती गा उठी, आकाश झूम गया,
प्रेम और भक्ति का सागर उमड़ गया।

जय कन्हैया लाल की, हर मुख से पुकार,
जन्माष्टमी का त्यौहार है अपार।
जहाँ-जहाँ कान्हा की कथा सुनाई जाती,
वहाँ-वहाँ प्रेम और भक्ति खिल जाती।

योगेश गहतोड़ी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *