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राधा रानी के प्राण तुम्ही

राधा रानी के प्राण तुम्ही.
हे नीलांबर हे पीताम्बर
गोकुल के पालनहार तुम्ही।
मेरी भक्ति, रज की माटी
उम्मीद का संसार तुम्ही।।
मैं तो हार गया दुनिया से
जीत का अभिमान तुम्ही।
खाक छान ली सारी मैने
मिश्री का स्वाद तुम्ही।।
हे बांके बिहारी, हे द्वारकाधीश
गीता का हो ज्ञान तुम्ही ।
गोवर्धन को धारण करने वाले
पूजा का प्रसाद तुम्ही।।
मैया का माखन तुम्हें पुकारे
बांसुरी की मधुर आवाज तुम्ही।।
नारायणी सेना के स्वामी
सुदर्शन की धार तुम्ही।।
हे प्रभु हे देवकी नन्दन
मीरा के श्याम तुम्ही।
बालपन के हटधारी
मां यशोदा के लाल तुम्ही।।
मथुरा की गलियां हो गई सूनी
हर नारी की लाज तुम्ही।
पञ्जन जब फूंक दिया था
महाभारत का परिणाम तुम्ही।।
हे। मधुसूदन हे गिरधारी
अवध के हो राम तुम्ही।
शबरी के जूठे बेर चखे
यमुना के पावन घाट तुम्ही।।
हे गोविन्द, हे रण छोर
अर्जुन के हो पार्थ तुम्ही।
सब का मन मोहने वाले
हो राधा रानी के प्राण तुम्ही।

नीरज कुमार “नीर” इटारसी मध्य प्रदेश

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