
जन्म लिए हैं कृष्ण कन्हाई
नंदराज घर खुशियां छाई।
देवकी कोख से जन्म जो पाये
रातों-रात नंद घर आए।
देवकी पुत्र उसके लेंगे प्राण,
सुनकर कंस थे परेशान।
पर होनी को कौन टाल पाये,
पिता संग कृष्ण नंद घर आए।
अर्धरात्रि संतानें गयी बदली,
कृष्ण को यशोदा की गोद मिली।
यशोदा के आंगन नंदलाल खेले,
नंदराज मन भावे, हिंडोला झूले।
माखन चोरी करें,गोपिया खुश होलें,
मथुरा सब झूम गई बालकृष्ण खेलें।
गोद बैठे यशोदा की लीला करें न्यारी,
दुनिया भर की भक्ति कृष्ण तुम पे वारी।
राधा संग गोपिया भी तन मन सब हारी।
सुंदर सलोना मुखड़ा दुनिया मतवारी।
सुलेखा चटर्जी,भोपाल