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जगदीश साहित्य संस्थान प्रयागराज


दिनांक- 16-08-2025
दिन- शनिवार
आयोजन- गीत दिवस प्रतियोगिता
विषय- ‘आजादी को कायम रखना सबका धर्म कर्म है यहाँ’

छन्द-

आजादी को कायम रखना, सबका धर्म है कर्म यहाँ।
इसको कभी भूल न जाना, भारत जैसा देश कहाँ।।
इसी भूमि हुए गाँधी, भगतसिंह, आजाद हुए।
इसी भूमि पर सत्य-सनातन, दया-अहिंसा बसे हिए।।

इसी भूमि पर बलिदानों की, अगणित गाथायें गहरीं।
छिपी हुई हैं, पढ़कर देखो, आँखें होगी नम तुम्हरीं।।
कैसे हमने आजादी पायी, इसे नहीं खोने देंगे।
मिल-जुलकर हम रहें देश में, देश दिखरने न देंगे।।

राम-कृष्ण, महावीर, बुद्ध की, भूमि कबीर, हुई मीरा,
नानक, तुलसी की जननी, हुए रैदास हरीं पीरा।
जन-जन को उपदेश दिया है, प्रेम का पाठ पढ़ाया है।
फिर भी जाँति-पाँति का झगड़ा, वर्ग-भेद का साया है।।

हमको इसे हटाना होगा, आजाद का रखना मान।
बरना फिर गुलाम जो होगे, न छूटे ये रखना ध्यान।।
आज बहुत तकनीकी आगे, फँसे, फँसे रह जाओगे।
चेतन, सजग, जागते चलिये, बरना फिर पछताओगे।।

माँग यही है देश-प्रेम की, सबकी यही चाहना है,
बलिदानों को याद करो नित, नहि देगा देश उलाहना है।
देश-धर्म और देश-प्रेम को, देश-भक्ति से जोड़े रखिये,
सही मायनो में आजादी होगी, ये समझते रहिये।।

रचनाकार-
पं० जुगल किशोर त्रिपाठी
बम्हौरी, मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)

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