
जय जय जय कृष्ण मुरारी,
गोवर्धन गिरधारी!
पूर्णावतार, प्रेमावतार,
रसनावतार, भवतारी!!
बाधा दूर करो हमसब की,
आकर के बनवारी!
जय जय जय कृष्ण मुरारी
गोवर्धन गिरधारी!!
भंवर बीच में आज है भारत,
जिस पर तुमने जन्म लिया!
आकर मुक्त करो संकट से,
दुष्टों ने है ग्रसित किया!!
मुरली मनोहर, हे बंसीधर,
अब दूर करो लाचारी!
जय जय जय कृष्ण मुरारी,
गोवर्धन गिरधारी!!
आतंकी दहशतगर्दों का,
आकर तुम संहार करो!
कंस की दंस से दुखी है दुनियां,
हम-सब का उद्धार करो !!
दुष्ट दरिन्दों का इस जग से,
अब तो सत्यानाश करो!
हे मनमोहन मदनमुरारी,
भवसागर से पार करो!!
आश लगाकर बैठे हैं हम,
मत करो देर बनवारी!
जय जय जय कृष्ण मुरारी
गोवर्धन गिरधारी!!
सुनने को सब तरस रहे हैं,
बंसी की धुन प्यारी!
अब तो सुन लो अरज हमारी,
आकर मदनमुरारी!!
दुष्टदमन कर, करते हो तुम,
भत्तोंकी रखवाली !
जय जय जय कृष्ण मुरारी
गोवर्धन गिरधारी !!
कमलेश विष्णु सिंह”जिज्ञासु”