
भादो के माह कृष्ण के पक्ष रहे ,
रात अंहरिया बदरिया घेर आईल ।
अउॅंघाईल सिपाही बत्ती बुझाईल ,
जब नया शिशु उत्पत्ति उहाॅं पाईल ।।
देवकी के भाग कंस के आग रहे ,
वसुदेव के हरियरात मन बाग रहे ।
एक होईत ललनवा दुष्ट के दलनवा ,
भगवान विष्णु से बड़ा अनुराग रहे ।।
बसुदेव उठवलन लालन सूप में ,
कान्हा का बाल रूप में ना ।
लेके अईलन बसुदेव गेट ,
बदकिस्मती गईल उनकर मेट ,
खुल गईल धीरे से किवाड़ ,
बसुदेव लेके भईलन पार ।
कुछ ना बुझाए केहूके चुप में ,
निस्तब्ध अंहरिया घुप में ना ।
बसुदेव उठवलन ————-।।
धई सुंदर सूप दूनों हाथ ,
धईलन प्रेम से अपना माथ ।
पुत्र मोह में रहलन निडर ,
रहलन जेकरा विष्णु साथ ।।
यमुना नदी में समईलन ,
कलकल छलछल चुप में ना ।
बसुदेव उठवलन ———– ।।
यमुना देख विष्णु के माथ ,
प्रभु जी जात बानी हमार ।
पानी खूबे तब उफनाईल ,
खुशी दर्शन पावेला अपार ।।
प्रभु दर्शन दिहलन गोरवा बढ़ाईके ,
बसुदेव जी के बचाई के ना ।
बसुदेव उठवलन ———– ।।
बसुदेव भईलन यमुना पार ,
पहुॅंचलन नंद बाबा के दुआर ,
बात बतवलन सब समुझाई ,
सहायता करs हमर तू भाई ।
जाके सुतवलन आगे यशोदा माईके ,
बदले में बेटी के उठाई के ना ।
बसुदेव उठवलन ———— ।।
बसुदेव घुसलन जईसे कारागार ,
फाटक बंद हो गईले अब दुआर ,
बेटी जईसे देवकी पाईल ,
बेटी खूब रोते चिल्लाईल ।
कंस घुमलवस जईसे उठाईके ,
बेटी हाथे छुट ऊपर जाईके ना ।
तू का मरबs हमराके उठाईके ,
चेत के रहs तू भगिनाई से ना ।।
बसुदेव उठवलन ————– ।
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।