
अनुप्रास अलंकार की रचना
सस्य श्यामला सुरभित सुगंध
पुष्प पुष्पित पल्लवित प्रसून।
दृष्टि दृग देखें दिग- दिगंत,
बदरा बरसे बहके बसंत।।
मंद-मंद मृदु महके मलयज
चंचल चपला चमके चहुंओर
मधुमय मधुप मधुपान मगन
कोयल किलोल करती किशोर।।
रंग रसमय रसिक रम्य राग,
भक्ति भजन भजते भाव
गगन गुञ्जित गान गंध,
सुषमा सोहे सुवासित सुगंध।।
पुष्पा पाठक छतरपुर मध्य प्रदेश