
आजकल सड़क पर ही दरबार सजा रखा है युवराज ने,
महफ़िलें सरे बाज़ार गुलज़ार कर रखा है युवराज ने।
झूठ के आडंबर-पथ पर ही परचम लहरा रखा है युवराज ने,
लोगों को आज भी मूर्ख बना रखा है युवराज ने।
शायद घूमने निकले हैं, या फिर लंबी यात्रा पर हैं,
तभी तो मौज-मस्ती का आलम सड़क पर ही रचा रखा है युवराज ने।
गली-गली, गांव-गांव, शहर-शहर, हाट-हाट,
काग़ज़ के फूलों से खुशबू बिखेर रखा है युवराज ने।
उम्र गुज़र गई चोरी करते, धोखा देते, आग लगाते,
शहर जलाते, इंसान मरवाते।
अब नए “अविष्कारों” से विनाश करेंगे—ऐसी कसमे खा रखी हैं युवराज ने।
चारों दिशाएं गुले गुलजर हैं
रस्ते पर ही आज
दिन में ही घनघोर अंधेरा बिखेर रखा हैं युवराज ने
आर एस लॉस्टम