
माँ केवल इंसान की नहीं होती,
ममता हर जीव में जीवित होती है।
उस निर्जीव से भी झलक उठते हैं भाव,
जिसमें ममत्व की छाया होती है।
ममता की पुकार सब मांओं की एक सी होती है,
भाषा भिन्न सही, पर भावना वही होती है।
नयनों में अपनापन, स्वर में करुणा,
हर जीव की माँ एक जैसी होती है।
जो जीवन दे, जो रक्षा करे,
वो हर रूप में माँ ही तो होती है।
माँ नाम नहीं, एक अनुभूति है,
जो हर पल में प्रेम की गूंज होती है।
हर रिश्ते की जड़, हर सांस का आधार,
माँ ही जीवन का पहला संसार होती है।
Raju Dhakad "सरल"