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साहित्य लेखन मात्र शब्दों की सजावट नहीं है


“एक लेखक ही साहित्य के आधार
स्तंभ पर सभ्य समाज का पथ प्रदर्शक का कार्य करता है”
साहित्य केवल शब्दों का सजावट नहीं, अपितु यह मानव जीवन, समाज और संस्कृति का प्रतिबिंब होता है। यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है ,बल्कि ज्ञान संवेदनशीलता और सोचने समझने की क्षमता को विकसित करता है। साहित्य हमें जीवन की गहराइयों को व्यक्त करने में मदद करता है।
साहित्य का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह मनुष्य के विचारों, भावनाओं और दृष्टिकोण को आकार देता है और समाज को प्रगति की ओर ले जाने में मदद करता है। साहित्य हमें अतीत से जोड़ता है, वर्तमान को समझने में मदद करता है। साहित्य का प्रमुख उद्देश्य “आनंद प्रदान करना है”साहित्य के आनंद का आधार सुंदर और सत्य है।
“साहित्य का कर्त्तव्य
केवल ज्ञान देना नहीं है
बल्कि एक नया वातावरण
देना भी है”
साहित्य लेखन मानवीय प्रतिक्रियाओं और भावनाओं से भरा होता है। नाटकों, उपन्यासों, कविताओं, महाकाव्यों, निबंधों और डायरियों में
मानव मनोविज्ञान को कुशलता से प्रस्तुत किया जाता है। जब हम साहित्य पढ़ते और उसका विश्लेषण करते हैं, तो हम विभिन्न पात्रों के माध्यम से मानव मनोविज्ञान का अध्ययन करते हैं और उसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।
साहित्य लेखन के माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों दृष्टिकोणों के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं।अपने जीवन को समृद्ध बनाते हैं।
“सफलता पाने के लिए
साहित्य लेखन ही
सर्वोत्तम सीढ़ी है”

डॉ मीना कुमारी परिहार

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