
आया तीज का पावन त्यौहार
घर घर फुलवा सजे,
सजे बच्चे और नर नार
मंदिर सजने लगे।
मांग में अपने सिंदूर लगाना
माथे मे भी टीका सजाना
केशो में भी गजरालगाकर
करो सजना के लिए श्रृंगार
सुखद पल आने लगे।।
भूख प्यास तुम को ना सताए
प्रेम की पावन ज्योति जगाए
मंगल दीपक कलश सजाए
देखे प्रतिपल प्रियतम की राह
मन को भाने लगे।।
गोरा ने शिव की भक्ति करी थी
भोजन पानी सब त्यागी थी
शिव की भक्ति में अपर्णा बनी थी
पाया शिवको फिर एक बार
भक्ति रंग छाने लगे।।
सखियाँ झूले डाल झुलाएँ
हरियाली के गीत मधुर गाएँ
घर आँगन गीतो से गूंजे
पति की होवे उम्र हजार लगे
भक्ति मिल करने लगे।।
गौरा-शंकर वर दें तेसबको
सुहागिने पूजें गौरा, शिव को
पति-पत्नी काअमर रहे प्यार।।
जीवन में खिलने लगा
पुष्पा पाठक