
साहित्य की चमक समाज में बासी।
और समाज के मूल्यों में साहित्य गाढ़ा।
लोगों को व्यवहारों को,
साहित्य दर्पण में पहचान लिया।
और सही रास्ता सच्ची नियत,
साहित्य ने पहचान दिया।
आधुनिकता के मूल्यों में,
अमिट छांव वो साहित्य रचा।
हे खोज अंतर्मन की वो राह पकड़ साहित्य चला।
एक बेहतर समाज बनें,
संवेदना का स्तर बढ़े।
योगदान से हम हे सम्हाले,
सकारात्मक नित मन में बढ़े।
साहित्य की चमक समाज में रची-बसी।
लेखिका कवि-नीतू नागर “अम्बर” यूपीएससी छात्रा/ राइटर/कवियत्री/महिला सशक्तिकरण हेल्पर/ मेंटर नरसिंहगढ़ मध्यप्रदेश