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क्रोध पर दोहा संग्रह

क्रोध करके जो मनुष्य, खो दे आपन ज्ञान।
धैर्य धरै जो सदा, पाए जीवन का मान॥

क्रोध अग्नि सम है, सब नाश कर दे तन।
संयम जो सीख ले भैया, बनै जीवन धन॥

क्रोध बढ़े तो मित्र भी, दुश्मन बन जाँय।
मीठे बोल और नम्रता, दिल सबको बाँध जाँय॥

क्रोध मिटाए विवेक को, बुद्धि बनै अंधियारा।
शांति जो अपनाए भैया, पावै सुख सारा॥

क्रोध छोड़े जो मन में, पावन हो सब काम।
सत्य-संयम, धैर्य, प्रेम से, बने जीवन महान॥

क्रोध नरक की आग है, झुलसा दे तन-मन।
धैर्य-धारण करने वाला, पा जाए सदा धन॥

क्रोध से बिगड़ै सब संबंध, टूट जाए हर बंधन।
मधुर वाणी और प्रेम ही, जोड़ै जग का पंखन॥

क्रोध पाले जो मन में, अज्ञान उसे ले जाय।
सत्य-संयम अपनाए जो, जीवन आनंद पाए॥

क्रोध करते जो प्राणी, वही पावे अपमान।
धैर्य, नम्रता, क्षमा से, बढ़े उसका मान॥

क्रोध में बोले शब्द कटु, घाव दे मन-मान।
संयम वाणी अपनाने वाला, पावै शांति और आन॥

क्रोध ही सबसे बड़ा शत्रु, जो खाए जीवन रस।
शांति, प्रेम और क्षमा से, बनै जीवन का भास॥

क्रोध त्याग कर जो चले, वही सच्चा ज्ञानी।
सहनशीलता और संयम से, हो जीवन सुहानी॥

योगेश गहतोड़ी

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