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भारतीय प्रवासी बच्चे विश्वरंग हिंदी ओलम्पियाड में बढ़चढ़ कर भाग लें – रामा तक्षक

विश्व रंग फाउंडेशन भारत, साझा संसार फाऊंडेशन नीदरलैंड और गुरुकुल यू के के संयुक्त तत्वावधान में, ‘विश्व रंग विद्यार्थियों के संग’ अंतरराष्ट्रीय कविता पाठ का आयोजन ऑनलाइन किया गया।

इस आयोजन में लंदन से साम्या मानक, अदिति जैन, मिशा माहेश्वरी, क्रिशा माहेश्वरी, रिया देशपांडे, अनिका जैन, अंश जैन, इटली से अंजलि तोमर, अंजना तोमर तथा नीदरलैंड से मानवी भाटी और ध्रुवल केशरी ने भाग लिया।

गुरुकुल यू के की संस्थापिका इंदु बारैठ ने छात्रों की कविताओं पर अपना वक्त देते हुए कहा कि प्रवासी भारतीय माता-पिता अपनी नई पीढ़ी को मातृभाषा सिखाएँ ताकि नई पीढ़ी अपनी दादी, नानी, दादा, नाना से बात उनकी अपनी मातृभाषा में संपर्क बना रहे। अन्यथा तो पीढ़ियों का यह संपर्क टूट जाएगा। उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि गुरुकुल यू के पिछले 10 वर्ष से निरंतर संस्कृत व हिंदी भाषा पढ़ाने का काम कर रहा है। विगत 10 वर्षों में लगभग हजार छात्रों को हिंदी व संस्कृत पढ़ने का काम किया है। गुरुकुल यू के में बहुत सारे वयस्क भी हिंदी सीखने आते हैं।

अदिति जैन ने अपनी स्वरचित ‘तिरंगा’, रिया देशपांडे ने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की बाल कविता ‘एक दो तीन चार’, मानवी भाटी, अंजली तोमर व अंजना तोमर ने ‘माँ’, साम्या मानक ने ‘ठीक समय पर’, अनिका जैन ने ‘ दीया कुछ न बोले, ध्रुवल केसरी ने ‘राम नाम सबसे बड़ी दौलत’, अंशु जैन ने ‘ जिसने सूरज चाँद बनाया तथा क्रिशा और मीशा माहेश्वरी ने सुमित्रानंदन पंत की ‘धन लोलुपता’ रचना सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया।

इस आयोजन में साझा संसार के अध्यक्ष, रामा तक्षक ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि प्रवासी बच्चे हिंदी ओलम्पियाड में बढ़चढ़ कर भाग लें। प्रवासी भारतीयों की नयी पीढ़ी, आगे चलकर, भारत के निर्माण में सशक्त भूमिका निभायेगी। उन्होंने मंच का संचालन करते हुए एक डच कविता “जब माँ की आँखों से आँसू टपके तो तुम क्या करो ?” का हिंदी अनुवाद भी सुनाया।

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