
आज बरसा पानी इतना, गुड़गाँव डूब सा गया,
सड़कों पर पानी भरकर, सारा शहर रुक गया।
गाड़ियाँ डूबीं पानी में, पैदल फँसे सब इंसान,
घर लौटने की चाह लिए, बढ़ा सभी का ध्यान।
ऑफिस से निकले तो, सोचा था मेट्रो से जायेंगे,
कैब को देखा तो, पता चला कोई नहीं आयेंगे।
कोई पूछे फोन पर—”भाई, घर पहुँचे या नहीं?”
कोई हँसकर बोले—”अभी तक पहुँचे ही नहीं।”
सबने मिलकर भगवान से, यही दुआ अब माँगी,
सुरक्षित पहुँचे घर सभी, थकान और डर भागी।
योगेश गहतोड़ी