
आज पद्मा एकादशी
हमारे ऋषियों का शोध और दैवीय अनुदानों से भरे, वर्ष के सारे व्रत-त्योहार अनुदान के रूप मे हमारे पूर्वजों ने इस वसुन्धराको सौंपा है ।
हमें सनातन और सनातनियों के अस्तित्व के रक्षा हेतु धार्मिक अनुष्ठानों को करते रहना चाहिए ।।
हरिकृपा ।।
पं. बलराम शरण शुक्ल
नवोदय नगर हरिद्वार