
अक्षरों का जो ज्ञान देता है
पढ़ लिखकर सम्मान दिलाता है
तिमिर मिटा उजियार फैलाता है
सही मायने में वह शिक्षक कहलाता है
मन कर्म वचन से सही इंसान बनाता है
भटके को सही राह दिखाता है
सत्मार्ग पर हमे चलाता है
जीवन का उद्देश्य बताता है
सही मायने में वह शिक्षक कहलाता है
लोहे को सोना जो बनाता है
पत्थर को रगड़ पारस बनाता है
डूबती नैया को पार लगाता है
सही मायने में वह शिक्षक कहलाता है
मां जैसी ममता दिखलाता है
पिता के जैसे डांट लगाता है
मित्र बंधु सा साथ निभाता है
सही मायने में वह शिक्षक कहलाता है
अर्थ का जिसको लोभ न होता है
शिष्यों की सफलता से खुश होता है
दीनो को जो निशुल्क पढ़ाता है
देश का जो भविष्य बनाता है
सही मायने में वह शिक्षक कहलाता है
प्रिया काम्बोज प्रिया ✍️ स्वरचित रचना
सहारनपुर उत्तर प्रदेश