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लता मंगेशकर और स्वर

“ऐसा रंग लगा स्वरों का,
लता जी से कोकिला बन गई।
शब्दों को ऐसे पिरोया की,
भावों की माला बन गई।

ख्वाबों में विचारों में,
स्वर का मिश्रण था।
गलियों हो या दिल सब में,
गीत सुनहरे बजाते हैं।

वो लग जा गले से लेकर,
जिंदगी प्यार का गीत है।
वो जिंदगी है जहां रेशमी,
आवाज़ का जादू है।

स्वर साम्राज्ञी विनम्रता पूर्ण,
हर गीतों में निर्मल नीर।
शब्दों में परिपूर्ण पूर्णता,
हर गाने में मूल्य है।

स्वरों में मैं मंत्रमुग्ध हूं,
भाव सारे वास्तविक लगें।
उतरे हर स्तर पर भावों में,
ऐसा गीत गढ़ा ।

वो सुकून है स्वरों का,
गुल में खिलते गुलशन का।
ऐसा रंग लगा स्वरों का,
लता जी से कोकिला बनी।

लेखिका कवि-नीतू धाकड़ अम्बर नरसिंहगढ़ मध्यप्रदेश

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