
तुम मेरी ज़िंदगी हो, तुम ही मेरी बंदगी हो,
तू है तो ये दिन-रात हैं, नहीं तो ज़िंदगी बेकार।
तेरे चेहरे की चमक से चाँद उजाला पाता है,
तारों की महफ़िल तेरे हुस्न पे झूम जाता है।
रात सजती है, दिन सँवरता है तेरी आहट से,
फूल खिलते हैं, प्रकृति श्रृंगार करती है तेरी चाहत से।
नदियाँ अंगड़ाई लेती हैं, झरने बलखाते हैं,
बाग़ खिलखिलाते हैं, गुलशन महक जाते हैं।
और तेरे बिना—
मैं हूँ ही नहीं, तू है तो सब है, वरना कुछ भी नहीं।
न मैं, न तू, न प्यार, न चाहत,
न दिल, न रूप, न तन, न जवानी…
तेरे बिना तो सच कहूँ—कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं।
आर एस लॉस्टम