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अक्षरों का वृक्ष — हिंदी

अक्षरों के वृक्ष से ही
शब्दों की दुनिया सजती है,
शब्द–ध्वनियां सुनकर ही
ज़िंदगी फिर सँवरती है।।

इसकी छाँव तले मिलता
ज्ञान और संस्कार है,
हिंदी का हर अक्षर अपना
माँ की बोली का उपहार है।।

पत्तों पर लहराते स्वर,
शाखों पर लिपि की छटा,
हर ध्वनि से झरता अमृत
मन में भरता मधुरता।।

चारों ओर बहते अक्षर
जैसे गंगा की धारा,
हिंदी संग बँधा है अपना
इतिहास, संस्कृति प्यारा।।

यह वृक्ष नहीं, धरोहर है
जो पीढ़ी से पीढ़ी जाए,
हिंदी से ही दुनिया में
भारत की पहचान बन पाए।।

आओ इस वृक्ष की छाया
हर हृदय में फैलाएँ,
मातृभाषा हिंदी को हम
विश्व की बगिया तक ले जाएँ।।

पुष्पा पाठक

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