Uncategorized
Trending

नारी और मर्यादा

“पंखों में ही शक्ति है हौसलों से उड़ान होती है
जब भी आगे बढ़कर करती है कुछ काम
हमेशा करते रहें नारी शक्ति का सम्मान”
भारतवर्ष में आदिकाल से ही नारी को वंदनीय माना गया है। आज भारत की महिलाएं नीति से लेकर देश के नेतृत्व तक अपनी भूमिका बखूबी निभा रही हैं।
महिलाएं समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाएं समाज की रीढ़ हैं। वो घर चलाने से लेकर शिक्षा , राजनीति और व्यवसाय में उत्कृष्टता हासिल करने तक, कई तरह से योगदान देती हैं। आज की दुनियां में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित कर रही हैं, सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
नारी की मर्यादा का अर्थ है, महिलाओं का सम्मान और गरिमा बनाए रखना। महिलाओं के प्रति उचित व्यवहार उनके अधिकारों का सम्मान और समाज में उनकी भूमिका को महत्व देना शामिल है। समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने के लिए प्रयास किया जा सकता है, इनमें शिक्षा,जागरूकता, कानूनी सहायता और समान अवसर प्रदान करना भी शामिल है। नारी की मर्यादा का पालन करना न केवल महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब महिलाएं सुरक्षित, सम्मान और सशक्त महसूस करती हैं तो वो समाज के विकास में अधिक योगदान दे पाती हैं।
*महिलाओं के पुरुषों के समान ही सम्मान दिया जाना चाहिए।
*महिलाओं के साथ गरिमा पूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए।*
*महिलाओं को उनके सभी अधिकार प्राप्त होने चाहिए, जैसे की शिक्षा स्वास्थ्य और आर्थिक स्वतंत्रता।
*महिलाओं को हिंसा ,शोषण और उत्पीड़न से सुरक्षित रहने का अधिकार है।
*महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर मिलने चाहिए।
*महिलाओं को खुद को महत्व देना चाहिए और अपने आत्मसम्मान को बनाए रखना चाहिए।
“अपनी आवाज को बुलंद करो
अपने अंदर की शक्ति को पहचानो
एक नारी के लिए कोई काम मुश्किल नहीं”
मानवीय मर्यादा सभी मानवों को होनी चाहिए ना केवल महिलाओं को।
मान ,मर्यादा हर व्यक्ति को मानवीय होने का अधिकार देता है और उसे सम्मान, सहनशक्ति और सुरक्षा देना चाहिए। मान मर्यादा सभी मानवों को समान रूप से ही होनी चाहिए, जो भी उनकी जाति, धर्म ,लिंग, स्थान या अन्य स्वाभाविक सुविधाएं हों।

डॉ मीना कुमारी परिहार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *