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हिंदी पावन गान है

दोहा छंद


हिंदी पावन गान यह, संस्कृति की शान।
अपनाएँ हम सब इसे, भारत की पहचान॥


सजग करे निज आत्मा, जग में फैले ज्ञान।
ममता स्नेह समर्पित, हिंदी पाए मान॥


गंगा-सी पावन बहे, हिंदी का संवाद।
हर शब्द में गूँज उठे, स्नेह-प्रेम का नाद॥


विज्ञान विवेक सहित, मधुर सरल हर स्वर।
हिंदी से ही मिलजुलें, सजे सदा यह घर॥


जन-मन को छू ले सदा, सरस सरल विश्वास।
हिंदी की मधुर वाणी, लाए प्रेम प्रकाश॥


धरती आकाश नाद यह, जीवन का संचार।
हिंदी में ही झलकेगा, भारत का सत्कार॥


शब्द विन्यास सुगढ़ हो, भावों का रस रंग।
हिंदी से ही महकेगा, हर उत्सव का संग॥


वेद-पुराणों की गूँज, संतों का उपदेश।
हिंदी ने सब बाँधकर, दिया प्रेम विशेष॥


विश्व पटल पर गूँज उठे, अपनी सदा पहचान।
हिंदी पावन गान यह, बढ़ाए जग सम्मान।।


भारत-भाषा अमर यह, उज्ज्वल इसका नूर।
हिंदी ज्योति प्रखर बन, जगमग हो भरपूर॥

योगेश ग़हतोड़ी “यश”

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